Thursday, July 28, 2011

" माँ "

 " माँ " से बढ़कर दुनिया में कोई और अच्छा संबोधन नहीं है और न ही , माँ से बढकर कोई और दूसरा व्यक्ति !

लेकिन जब हम बच्चे रहते है , तब हमें माँ बहुत प्यारी  लगती है , जब बड़े हो जाते है तो वही माँ हमें हमारे thoughts , actions , behavior और ज़िन्दगी में interference करती हुई नज़र आती है . जैसे जैसे हम बड़े हो जाते है , हम पाते है की , हमारे पास माँ के लिए न शब्द बचते है , और न ही बाते, और न ही समय !!


हम भूल जाते है की हमें ज़िन्दगी देने वाली ही माँ है . और जब  माँ नहीं रहती है तो , उसकी बड़ी याद आती है . जब सामने रहती है तो उसकी तरफ ध्यान ही नही जा पाता है !


प्रिय मित्रो , अगर माँ है तो उसके पास जाओ और उसे भी प्यार दो . उसकी झोली हमारे लिए कभी भी प्यार से खाली नहीं होती है . बस हम ही बदलने लग जाते है !!


समय रहते , अपनी माँ को ये अहसास दिलवाओ कि तुम हो उसके लिए !!! हमेशा !!!!


- स्वामी प्रेम विजय

Friday, July 22, 2011

प्यार और मित्रता


प्रिय मित्रों ;

आज मैं आप सभी से कुछ कहना चाहूँगा .

सारी
ज़िन्दगी हम प्यार और मित्रता की तलाश करते रहते है , और जैसे ही हमें प्रेम और मित्रता मिल जाती है , हम उसे अपने दो कौड़ी के दिमाग और गज भर लम्बी जबान से सर्वनाश कर देते है .

और
ये लगभग हम सभी के साथ ही होता है . और इसका मुख्य कारण है हमारा दिमाग .हम अपने pre -loaded thought processes को अपनी दोस्ती और अपने प्रेम पर लागू करते है और एक सुन्दर से जीवन का कबाड़ा कर डालते है .

ये
ध्यान रखे की जीवन में प्रेम और दोस्ती बहुत ही मुश्किल से मिलती है . लेकिन दोस्ती या प्रेम करना और इन दोनों को निभाना , वाकई बहुत मुश्किल का कार्य होता है . हम दिल से निभाना चाहते है लेकिन हमारे दुष्ट दिमाग का क्या करे.. वह इन दोनों में हस्तक्षेप करता है और इस तरह से जीवन की सबसे मूल्यवान वस्तु हमारे हाथ से निकल जाती है .

याद रखे की प्रेम या दोस्ती में दुनियादारी या व्यवहार की कोई जरुरत नहीं होती है ,
वहां तो सिर्फ आप दोनों ही होते है .

इसलिए
मेरी विनंती है आप सभी से , कृपया अपना दिमाग को इन दो बातो में न लाये और न ही अपनी जुबान को अधिकार दे कि वो इन दोनों भावो में कुछ कहे. याद रखे , इन दोनों बातो में शब्दों की कोई जरुरत ही नहीं है , यहाँ किसी भी व्यवहार की जरुरत नहीं है , क्योंकि प्रेम और मित्रता में ईश्वर का सच्चा वास होता है

प्रणाम

स्वामी प्रेम विजय