Wednesday, December 23, 2009

ईश्वर क्या है और कहाँ है .....





ईश्वर क्या है और कहाँ है .....

 ये एक निरर्थक सा सवाल है की ईश्वर क्या है , सभी को पता है की ईश्वर क्या है , लेकिन क्या वाकई पता है दोस्तों ....कोई कहे की मंदिर , मस्जिद ,गुरूद्वारे,और चर्च में है , कोई कहे की हमारे भीतर ही है , कोई कहे की यहाँ है ,वहां है ,चारो तरफ है ... सब में है ... इत्यादि ...इत्यादि ..

लेकिन इन सब बातो को सुनने और मानने के बाद भी हमारी मुलाखात ईश्वर से क्यों नहीं हो पाती है ,क्यों नहीं हम उसे मंदिरों में देख पाते है , क्यों नहीं हम उसे सर्वत्र देख पाते है ... आखिर उसके और हमारे बीच , कौनसा पर्दा है दीवार है , जो की हम उसे देख नहीं पाते है ...क्यों ...क्या कारण है की इतनी भक्ति और इतनी पूजा ,अर्चना के बाद भी उससे कोई बात नहीं हो पाती है ..

दरअसल , हम ईश्वर को कहीं और ढूंढते है .. चाहे वो बाहर हो या भीतर हो ..लेकिन ढूंढते है , इस ढूँढने की प्रक्रिया ही हमें उस सर्शक्तिमान के दर्शनों से वंचित रखती है ,
ईश्वर तो है हर कहीं .. फूलो के रंगों में , पत्तो पर ठहरी हुई ओस में , पेड़ो की छाया में , सूर्य की किरणों में , चाँद की ठंडी रौशनी में , मंद मंद बहती हवा में , हमारे चारो तरफ मौजूद है उसकी बनायीं हुई दुनिया और उस दुनिया में पल प्रतिपल मौजूद उस परमपिता का अस्तित्व ....

लेकिन हमारी यात्रा बाहर की ओर होने लगती है , हम ईश्वर को बाहर ढूँढने लगते है ...चाहे वो बाहर मंदिरों में हो या फिर ईश्वर के बनाये हुए मनुष्यों में ... ये बाहर की यात्रा सिर्फ हमें बाहरी रूप का लाभ देती है न की ईश्वर के अंश का ..

ईश्वर की तलाश नहीं करना चाहिए .. वो तो बस है ,हमारे सामने अपनी बनायीं हुई दुनिया के रूप में , हम तितलियों से प्रेम करे और ये समझे की ये भी एक रूप है ईश्वर का , हम फूलो से प्रेम करे और ये माने की ये भी एक रूप है ईश्वर का , हम इस धरती पर मौजूद, हवा, पानी और रौशनी के लिए उसका शुक्रगुजार बने और ये जाने की वो है , हवा में , पानी में और रौशनी में ...

ईश्वर को छूने की यात्रा तो बहुत ही रोचक है और ये सबसे सरल उपाय है , सिर्फ अपने भीतर की यात्रा करे ... और जब आप भीतर की यात्रा करे तो उसकी बनायीं हुई दुनिया का सौंदर्य देखते हुए यात्रा करे .. उसके बनाये हुए फूल और उन फूलो में बसी खुशबु ... पेड़ो पर मौजूद हरा रंग और उसके बनाये हुए फल -फूल , आकाश में मौजूद बादलो का बदलता रंग और उनसे उत्पन हुई वर्षा ... ,बहुत से पंक्षी और उनकी सुमधुर आवाजे , प्राणियों की निर्मलता और सहजता .. जीवन की सौम्यता ... सब कुछ ,हमारे चारो ओर जो कुछ भी है उसका है उसमे है और वो महान ईश्वर उन सबमे में है ..इन सबकी छुअन , गंध, स्पर्श, दृश्य , स्वाद तथा जीवन के सारे अहसासों के साथ उस महान प्रभु का स्मरण करे और अपने भीतर उतरे...

संसार में रहकर भीतर यात्रा करना एक चुनौती है और ये बहुत कम लोगो के लिए संभव हो पाता है की वो इस यात्रा को करे .. लेकिन जो प्रेम करते है उनके लिए ये यात्रा सहज हो जाती है ..क्योंकि दुनिया में मौजूद सारे रास्तो में सिर्फ प्रेम ही एक मात्र ऐसा रास्ता है जो की जल्दी ही और निश्चिंत ही ईश्वर से मिलाता है .. अध्यात्म के लिए जो सबसे आवश्यक सीढ़ी है वो प्रेम की है ..आप अगर किसी से सहज और मधुर प्रेम करो , आपका मन निर्मल हो जाता है , और यही सहजता और निर्मलता ईश्वर को सबसे प्यारे है , ईश्वर उसी को स्वीकार करता है , जो दुसरो से प्रेम करता है .. जो दुनिया के छल-कपट से दूर है ...

,ईश्वर क्या है , वो है हमारे भीतर , वो है हमारे प्रेम के भीतर , ईश्वर को कोई मूर्त रूप में थोड़ी ही पाना है ,उसको भाव में पाना है , उसको प्रेम में पाना है , उसको जीवन में पाना है , उसको पेड ,पौदों,नदी, तितली, सूर्य,चन्द्रमा,तारे ,फूल में देखना है , इस के बाद सिर्फ एक मौन रूप आता है ,जहाँ हम उस निर्विकार से मिल जाते है और सिर्फ तब हमें उस महान ईश्वर के दर्शन हो पाते है और यही सच्चे रूप में ईश्वर को पाना है ,

मेरी आप सबसे यही विनती है दोस्तों की ,आईये , हम अपने अपने ईश्वर, खुदा को ढूंढें और उसे पाए पूर्णता में , और सहजता में ...और हाँ सजगता में भी ..क्योंकि उसके प्रेम को हमें बांटना है ........

Tuesday, August 18, 2009

अनंत यात्रा....THE LAST JOURNEY..

अनंत यात्रा......

मित्रो ,हम देखते है की जब हम किसी यात्रा पर निकलते है तो कई तरह का साजो सामन हम जुटा लेते है .....पर हम क्या अपनी अनंत यात्रा के लिए कोई सामान जुटाते है ....नहीं .... हम उन सारी यात्रो के लिए धन ,तन, मन से कई सारा सामान इकट्ठा करते है ,जिन यात्रो के बारे में कोई भी कभी भी ये कह नहीं सकता है की वो पूरी होंगी ही ..... पर उस यात्रा के लिए ,हम कुछ नहीं इकट्ठा करते है , जो की निश्चिंत है ..हमारे मृत्यु की यात्रा ..एक ऐसी अनंत यात्रा ,जिसके बारे हम सब जानते है कि ,वो पक्की होंगी ....

पर क्या हमने उस अनंत यात्रा के लिए कभी कुछ इकठ्ठा किया है .. नहीं ... क्योंकि हम ऐसे मूर्ख है कि ,उस यात्रा के लिए सारा साजोसामान इकठ्ठा किया है ,जिसकी कोई guarantee नहीं है पर मृत्यु की अनंत यात्रा के लिए कुछ भी नहीं ... क्योंकि हम इस एक मात्र निश्चित यात्रा के लिए डरते है ....हम इस यात्रा को करना ही नहीं चाहते ..जो की हमें अपने प्रभु से मिलवा दे.......

आईये , ज़रा इस बारे में सोचे ...और इकठ्ठा करे ऐसी सम्पति जो हमें हमारी अनंत यात्रा को करने में सहायक होंगी .. और क्या है ये सम्पति ...... ये है प्रेम, करुणा, दया, मित्रता, अच्छाई , पुण्य ,धर्म, अध्यात्म ...... ये सारे के सारे वो सम्पति है ,जो कि बहुत आसानी से जमा की जा सकती है ....

आईये , हम प्रण करे कि आज से ही इन सारी प्रीतियों को इकट्ठा करे और और अपनी अनंत यात्रा को सुगम , सरल और सहज बनाये .. ताकि जब हम अपने प्रभु से मिले .. तो हमारे भीतर का मनो मालिन्य , अंहकार , क्रोध, माया इत्यादि को त्याग कर चुके हो और परम पिता परमेश्वर के सामने हम सर झुका कर , उन्हें प्रणाम करते हुए , उनके चरणों में अपने आपको गिरा कर , उनसे अपने विषय-वासना के कार्यो के लिए क्षमा मांगते हुए उनकी शरण में जाए...प्रणाम !!!


Friday, August 14, 2009

JOGAN- MEERA........जोगन- मीरा ...




जोगन


मैं तो तेरी जोगन रे ; हे घनश्याम मेरे !
तेरे बिन कोई नहीं मेरा रे ; हे श्याम मेरे !!
मैं तो तेरी जोगन रे ; हे घनश्याम मेरे !

तेरी बंसुरिया की तान बुलाये मोहे
सब द्वारे छोड़कर चाहूं सिर्फ तोहे
तू ही तो है सब कुछ रे , हे श्याम मेरे !
मैं तो तेरी जोगन रे ; हे घनश्याम मेरे !

मेरे नैनो में बस तेरी ही तो एक मूरत है
सावंरा रंग लिए तेरी ही मोहनी सूरत है
तू ही तो एक युगपुरुष रे ,हे श्याम मेरे !
मैं तो तेरी जोगन रे ; हे घनश्याम मेरे !

बावरी बन फिरू , मैं जग भर रे कृष्णा
गिरधर नागर कहकर पुकारूँ तुझे कृष्णा
कैसा जादू है तुने डाला रे , हे श्याम मेरे !
मैं तो तेरी जोगन रे ;हे घनश्याम मेरे !

प्रेम पथ ,ऐसा कठिन बनाया ; मेरे सजना
पग पग जीवन दुखो से भरा ; मेरे सजना
कैसे मैं तुझसे मिल पाऊं रे , हे श्याम मेरे !
मैं तो तेरी जोगन रे ; हे घनश्याम मेरे !


Friday, August 7, 2009

THANK YOU GOD . धन्यवाद प्रभु





FRIENDS, DID YOU THANK YOUR GOD TODAY ? FOR ALL THOSE BLESSINGS ,WHICH HE SHOWERED UPON YOU. FOR THAT SUPREME POWER WHICH SAVES YOU FROM ALL THE EVILS OF LIFE. FRIENDS; IN THE RAT RACE OF LIFE , WE HAVE FORGOTTON ,HOW TO THANK OUR GOD FROM HEART. LIKE ALL OTHER WORKS OF DYA TO DAY LIFE , WE COMPLETE OUR PRAYERS AND THAN WE GET BACK TO OUR LIFE ,WHICH IS AGAIN A BLESSING BY GOD. I REQUEST YOU ALL , JUST TO TAKE A MOMENT OUT OF YOUR 24 HOURS AND COSE YOUR EYES, FOLD YOUR HANDS , JUST THINK OF YOUR GOD ,MAY BE JESUS, MAY BE BUDDHA , MAY BE KRISHNA , MAY BE MOHAMMAD ,MAY BE MAHAVEER, MAY BE ALLAH, JUST THINK OF HIM, PRAY AND SAY THANK YOU GOD . BELEIEV ME IT WILL MAKE YOUR DAY. PRANAAM


दोस्तों क्या आपने आज अपने प्रभु को धन्यवाद दिया , उन सारी नेमतों के लिए जो उसने आपको दी है , उसकी मेहर के लिए ,जिसकी छत्री आपको दुखो से बचाती है , उसके आर्शीवाद के लिए ,जो आपको सुख देती है , उसकी कृपा के लिए जो आपकी बेहतरी करती है ..दोस्तों ,जीवन की RAT-RACE में हम अपने प्रभु को धन्यवाद देना भूल गए है ...हम सिर्फ एक किसी और कार्य की तरह से अपने प्रभु की पूजा करते है , प्रणाम करते है और फिट अपनी दुनिया में समां जाते है ये भूलकर की ये दुनिया भी उसी की दी हुई है ....मैं आप सबसे विनंती करता हूँ की ,कृपया , पूरे दिन के 24 घंटो में एक बार ,सिर्फ एक बार दिल की गहराईयों से अपनी आँखे बंद करके , सिर्फ अपने प्रभु के बारे में ही सोचते हुए उसे दिल से ,मन से , तन से ; हाथ जोड़कर , सर झुकाकर नमन करते हुए धन्यवाद दे. सिर्फ एक बार ही काफी होंगा , ज्यादा करोंगे तो ROUTINE सा हो जायेगा ....बस एक बार अपने खुदा, अपने जीसस ,अपने प्रभु ,अपने बुद्ध , अपने महावीर , अपने कृष्ण , अपने ईश्वर को धन्यवाद दीजिये..फिर देखिये आपका दिन कितना अच्छा बीतेंगा . प्रणाम.

Wednesday, August 5, 2009

GOD IS WITH YOU...परमात्मा आपके साथ है




दोस्तों, जिस तरह से महाभारत के युद्ध में अर्जुन के रथ के सारथी ,भगवान श्री कृष्ण रहे है , उसी तरह से हमारे जीवन के सारथी भी ,हमारे परमात्मा है ..ये समझना बहुत ही बड़ी भूल होंगी की प्रभु हमारे दुखो में हमारे साथ नहीं है ....ऊपर दिया गया चित्र यही दर्शाता है की जब हमें परमात्मा की सबसे ज्यादा जरुरत रही है , उस वक़्त परमात्मा ने हमें सहारा दिया है ...हमारे सारे जीवन में हमारे मन के भीतर बैठा ईश्वर ही हमारा सच्चा मित्र , सलाहकार तथा मार्गदर्शक है ..आईये हम अपने जीवन के कुछ क्षण उस प्रभु को धन्यवाद देने में बिताये...प्रणाम
DEAR FRIENDS, WE OFTEN FORGETS AND BLAME GOD THAT HE IS NOT WITH US DURING OUR PROBLEMS AND PAINS .BUT AS THE ABOVE PICTURE SUGGESTS ,HE WAS ALWAAYS THERE WITH US IN OUR ALL TIMES. THE WAY LORD KRISHNA GUIDED ARJUNA IN MAHABHAARAT, OUR LORD GUIDES AND LEADS OUR LIFE ALL THE TIMES. IN FACT OUR LORD IS OUR TRUE FRIEND,PHILOSPHER AND GUIDE. ..PLEASE JOIN ME THANKING OUR GOD FOR EVERYTHING IN OUR LIFE. ...PRANAAM

Monday, August 3, 2009

THE FIRST PRAYER ....पहली प्रार्थना ......


DEAR FRIENDS , I REUEST YOU ALL TO TRANSFORM RELIGION INTO SPIRITUALITY. AND THIS CAN HAPPEN WHEN WE ALL FIND THE DIVINE FORCE WITHIN THAN SEEING OUTSIDE.LETS MAKE FREINDS.LETS SPREAD THE MESSAGE OF FRIENDSHIP & LOVE & SPIRITUALITY. LETS BE HUMAN, AS HUMANITY IS THE REAL WORSHIP OF GOD.




दोस्तों , यदि हम धार्मिकता को छोड़कर अध्यात्म की राह पर चले तो जीवन का कठिन संघर्ष बहुत आसान हो जायेगा , और ये संभव है यदि हम परमात्मा को बाहर की ओर ढूँढने की अपेक्षा भीतर की ओर ढूंढें ..आईये परमात्मा के द्वारा दिए गए एक महान उपहार " मित्रता " के द्वारा हम दोस्ती, प्यार और अध्यात्म का पाठ सभी को पढाये... आईये प्रथम , हम एक इंसान बने ,क्योंकि इंसानियत ही सही अर्थो में ईश्वर की पूजा है ..




Friday, January 2, 2009

स्वामी विवेकानंद

आज भी परिभाषित है
उसकी ओज भरी वाणी से
निकले हुए वचन ;
जिसका नाम था विवेकानंद !

उठो ,जागो , सिंहो ;
यही कहा था कई सदियाँ पहले
उस महान साधू ने ,
जिसका नाम था विवेकानंद !

तब तक न रुको ,
जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो ...
कहा था उस विद्वान ने ;
जिसका नाम था विवेकानंद !

सोचो तो तुम कमजोर बनोंगे ;
सोचो तो तुम महान बनोंगे ;
कहा था उस परम ज्ञानी ने
जिसका नाम था विवेकानंद !

दूसरो के लिए ही जीना है
अपने लिए जीना पशु जीवन है
जिस स्वामी ने हमें कहा था ,
उसका नाम था विवेकानंद !

जिसने हमें समझाया था की
ईश्वर हमारे भीतर ही है ,
और इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म है
उसका नाम था विवेकानंद !

आओ मित्रो , हम एक हो ;
और अपनी दुर्बलता से दूर हो ,
हम सब मिलकर ; एक नए समाज ,
एक नए भारत का निर्माण करे !
यही हमारा सच्चा नमन होंगा ;
भारत के उस महान संत को ;
जिसका नाम था स्वामी विवेकानंद !!!